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फिल्म देखते दिमांग की बत्ती गुल हो गई, फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू से ( स्टार 2/5 )

निर्देशक श्री नारायण सिंह ने लगता हैं मन बना लिया है उन विषय को पर्दे पर लाना जो शीर्षक सीधे आम आदमी से जुड़ा हो, श्री नारायण ने पहले शौचालय की समस्या को चुना जो आज भी गॉवो में अहम हैं | और इस बार मुद्दा हैं बिजली का | 

 फिल्म          :     बत्ती गुल मीटर चालू 
श्रेणी            :   सोशल ड्रामा
कास्ट          :         शाहिद कपूर, श्रद्धा कपूर,दिव्येन्दु शर्मा, यामी गौतम
एडिटर व निर्देशक  : श्री नारायण सिंह
स्टार                  :      2/5
समीक्षक    :        पुष्कर ओझा  
 
कहानी की बात करे तो  नौटी उर्फ ललिता (श्रृद्धा कपूर), सुंदर त्रिपाठी (दिव्येन्दु शर्मा), सुशील कुमार पंत उर्फ एसके (शाहिद कपूर) उत्तराखंड के छोटे से गांव  में रहते हैं। नौटी, फैशन डिजाइनर है। एसके ने लटक लटक कर वकील  पास की है जो गलत तरीके से पैसा कमाता है। तीनों की गहरी दोस्ती हैं, तीनों दोस्त एक-दूसरे के बेहद करीब हैं और ज्यादातर समय साथ ही बिताते हैं। सुन्दर का सपना रहता है खुद का बिजिनेस और वह शुरू भी करता है, पहले महीने डेढ़ लाख दूसरे महीने ३ लाख और तीसरे महीने 57 लाख रुपये का बिजली का बिल आता हैं, जिसके लिए सुन्दर कई शिकायत भी बिजली विभाग में करता हैं, पर शिकायत अनसुनी  होती हैं, इस बिच तीनों दोस्तों में दरार भी पड़ गई थी, सुन्दर बिजली विभाग के खिलाफ कोर्ट जाना चाहता हैं पर उसका अपना दोस्त एस के अब दोस्त नहीं रहा इसलिए वह केस अपने हाथ में नहीं लेता, एक तरफ बिजली बिल, दूसरी ओर कर्ज दार, सुन्दर यह सब बर्दास्त नहीं कर सका और वह आत्महत्या कर लेता हैं और फिर फिल्म का रूख ही बदल जाता हैं, और फिर क्या होता हैं इसके लिए आपको फिल्म देखनी होंगी, इंटरवल के बाद वकील यामी गौतम की एंट्री होती हैं और। .. हम कुछ नहीं कहेगे आप फिल्म देख कोर्ट रूम मिस मत करना | 
 
निर्देशन की बात करे तो निर्देशक श्री नारायण सिंह ने फिल्म एडिटिंग पर ध्यान नहीं दिया इंटरवल के पहले फिल्म तीनों की दोस्ती ही दिखाई जो थोड़ी देर के बाद बोर करने लगती, पता नहीं श्री ने इस तरह का एडिटिंग कैसा कर लिया उत्तराखंड की भाषा को भी इतना पिरोया की जिसकी आवश्यकता नहीं थी | काश स्क्रीनप्ले को सक्रीय कर छोटा किया होता, तो फिल्म अच्छी होती |  
 
अभिनय की बात करे तो शुरुवात करते हैं  शाहिद कपूर से  भले ही गिरते पड़ते पास हुए  वकील की भूमिका निभाई  है।  शुरुवात में लगता हैं की कही कही शहीद ओवरएक्टिंग कर रहे है, बाकि उनका काम काफी अच्छा है। श्रृद्धा कपूर एस विसुअल अपने किरदार में रहने की अच्छी कोशिश करते नज़र आ रही हैं,   दिव्येन्दु ने फिल्म में गुड बॉय का किरदार निभाया है। उनका काम भी अच्छा है। यामी गौतम के कैरेक्टर का नाम गुल्नार है जो कि डिफेंस की वकील बनी हैं।
 
कमजोर कड़ी  फिल्म की लंबाई जो २ घन्टे ४५ मिनट की हैं, खास कर इंटरवल के पहले के कई सीन की आवश्यकता ही नहीं थी जिसे जबरदस्ती डाले गए हो, एक और फिल्म में ढहरा और बल इन शब्दों का प्रयोग इतना किया हैं की बोर करने लगता है, और हाई कोर्ट में कॉमेडी | जज को मैच देखते हुए सुनाई के वक़्त, शाहिद कपूर का मजाक करना कोर्ट रूम में कहा होता हैं यह सिर्फ श्री ही जानते हैं | ऐसे अनगनित त्रुटिया  नज़र आती हैं जिसे सुधारा जा सकता था और यही एक कारन है फिल्म दर्शको को शायद खींचने में कामयाब नहीं हो पाए |